जाने क्यूँ
जाने क्यूँ दिन में भी कभी कभी अँधेरा होता है,पर ये भी सच है की हर रात के बाद ही सवेरा होता है.
जाने क्यूँ जीत से पहले हार का एक नजराना ज़रूर होता है,
पर हार का पैमाना पता नही क्यूँ हमेशा ही पाना होता है.
जाने क्यूँ ये दिल अनजाना कुछ पाना चाहता है,
पर मिलती फिर भी हर ओर निराशा है.
जाने क्यूँ ये दिल एक नया आसमान चाहता है,
जिसमे एक अनोखा अपना आशियाँ बनाने की आशा है.
जाने क्यूँ फिर भी एक उम्मीद हमेशा पलती है,
कि समय के साथ साथ हर प्रार्थना फलती है.
2 comments:
Jaane kyun jaane kyun jaane kyun?
Don't mind but you've wrote better before.
@Arvind
pata nhi jaane kyun
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